Mahabharat Adharit Rahsaya Kath – इतिहास मिथ्या है। ये दूसरों की आँखों-देखी वह अधूरी कहानी है जो सत्य और असत्य, घटित और अघटित के बीच की दूरी पाटती है, किंतु कभी पूर्ण सत्य नहीं होती है। इसे दबाया जा सकता है, किंतु उसका सत्य काल और पीढ़ियों की दूरी को तय करता हुआ उचित समय आने पर अकल्पनीय रूप से जाग्रत होता है।
‘महाभारत आधारित पौराणिक रहस्य गाथा’ आपको इतिहास के एक ऐसे ही अनकहे, किंतु शाश्वत सत्य से साक्षात्कार कराती है। इस गाथा की शुरुआत प्रथम उपन्यास ‘आह्वान’ से रोहन और उसके बेटे निश्चल की दर्दनाक मौत के बाद मिली एक साधारण वसीयत से होती है। वसीयत के डरावने पहलुओं से घबराए रोहन के पिता श्रीमंत रोहन के दोस्त इंस्पेक्टर जयंत से वसीयत की जाँच करवाते है। जाँच के दौरान वसीयत से जुड़े अनेक उलझी और अविश्वसनीय घटनाओं का सामना करते हुए जयंत को यक़ीन होने लगता है कि रोहन की वसीयत का सच उसकी सोच से कही गहरा है। साधारण वसीयत से जुड़ी कड़ियों को जोड़ते हुए सभी अँधेरे में छुपे इतिहास के उस हिस्से में पहुँचते है जो प्रत्यक्ष से कई गुना अधिक विस्तृत, डरावना और अकल्पनीय है। सर्वस्व दाँव पर लगे इस सफ़र में उनके अलावा कोई और भी इस गुप्त सत्य के निकट था और उसे अपने रहस्यमय स्वामी की विजय के लिए पानी की तरह पैसा बहाने और लाशें बिछाने में कोई गुरेज नहीं था।
यदि आप इतिहास से जुड़े मिथकों का तथ्यों और सत्य से तुलना करने का साहस रखते हैं, तो यह उपन्यास शृंखला आपके लिए है। रहस्य और रोमांच से भरी ये पुस्तक आपको सत्य और मिथक के बीच यात्रा कराते हुए कल्पना के आकाश और यथार्थ के धरातल से जोड़ती है। वैदिक शास्त्रों और समकालीन अनुसंधानों से अलंकृत रहस्य, रोमांच, अपराध, जासूसी, धर्म, अध्यात्म, रणनीति, युद्धनीति, इतिहास, पुराण के जटिल तारों से बुनी घटनाओं की पड़ताल करते हुए आप इस गाथा का हिस्सा बन जाते है।
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